भाग्यचक्र उज्जैन

भाग्यचक्र उज्जैन

आचार्य जी का परिचय

पंडित श्री दीपक शर्मा जी ज्योतिषाचार्य

भगवान महाकाल की नगरी के क्षितिज में उभरा सितारा, जिन्होंने अपनी ज्योतिष विद्या से देश विदेश में अपना नाम रोशन किया, अपने आभामंडल किरणों से सभी को रोशन किया, संतों महात्माओं की साधना स्थलीय अवंतिका (उज्जैनी) नगरी में अवतरित हुए। आपका अवतरण 16 मार्च फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रेवती नक्षत्र में हुआ। आपने स्नातक एवं ज्योतिषाचार्य स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात आप व्यवहारिक ज्ञान में संलग्न हो गए।

 

शास्त्रों का ज्ञान, ज्योतिष का ज्ञान, संस्कृत का ज्ञान आपको जन्म घुटी में मिला। आपके दादाजी श्री पंडित मांगीलाल जी शर्मा महाराज प्रगांड विद्वान थे आपने नर्मदा किनारे अपना आश्रम बनाकर कठिन साधना अर्जित की, उन्हीं की साधना का प्रतिफल आदरणीय दीपक शर्मा जी को मिला। आप उनके मार्गदर्शन में ज्योतिष ज्ञान की उत्तरोत्तर प्रगति करते रहे। ज्ञान अर्जित करते रहे। पिता पंडित श्री अशोक जी शर्मा से बाल्यावस्था में पाया ज्ञान समय के साथ निखरता गया, आपने दो वर्ष महाकाल वन में रहकर कठिन साधना की। 

 

आपको गुरु ब्रह्मलीन पंडित श्री बृजमोहन जी द्विवेदी का भी सानिध्य मिला। गायत्री मंदिर के पीठाधीश्वर श्री बुद्धि प्रकाश जी शास्त्री का भी आपको मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद मिला। आपके आशीर्वाद दाता गुरु श्री शंकर गुरुजी “बालक” का हमेशा सिद्धहस्त आपके सर पर बना रहा। दीपक शर्मा जी ज्योतिष के प्रगांड विद्वान होने के साथ आप हस्तरेखा, वास्तु, संस्कृत शास्त्रों का आपने गहराई से अध्ययन किया। आपकी संस्थान भाग्य चक्र उज्जैन ने विश्व भर में ख्याति अर्जित की हैं। आपको कई स्थानों पर पुरस्कार एवं सम्मानों से सम्मानित किया गया हैं। आप हिंदी, अंग्रेजी आदि भाषा के समान रूप से ज्ञाता हैं। गौ माता की सेवा करना आपने जीवन का उद्देश्य बना रखा है।

 

 नित्य प्रतिदिन गौ माता की सेवा अवश्य करते हैं। विश्व भर में आपके यजमान व अनुयायी निवासरत हैं। आप के गृहस्थ परिवार में पत्नी ‘खुशबू’ पुत्र ‘वैदिक’ एवं पुत्री ‘मानुषी’ हैं। वैदिक नाम आपने ज्योतिष विद्या के अनुरूप प्रदान किया है।  ज्योतिष, अनुष्ठान, कर्मकांड, पूजा, पाठ में आप समान रूप से पूर्ण ज्ञान रखते हैं। जब कोई अनुष्ठान करते हैं तब लगता पूर्णतः उसमें समा गये है। अनुष्ठान में देवी देवता का साक्षात प्रकट होना प्रतीत होता है। आप अनुष्ठान एवं हवन व्यवसाय की दृष्टि से नहीं बल्कि पूर्ण श्रद्धा, पूजा, समर्पण भाव से करते हैं। आप प्रकांड विद्वान होने के बाद भी सादा जीवन उच्च विचार, सहज, सरल स्वभाव के धनी हैं। आपके यजमान आपसे कभी भी सहज ही मिल सकता है। देश विदेश के कई शहरों में आपके यजमान निवासरत हैं। देश एवं विदेश में आपने ख्याति अर्जित की है। विश्व भर में कई देशों में आपके अनुयाई मौजूद हैं सभी निरन्तर सम्पर्क में रहते हैं। भगवान महाकाल एवं हनुमान (बालाजी महाराज) जी का आपको ईष्ट प्राप्त है। जब आप किसी अनुष्ठान में वाचन करते हैं तब लगता है साक्षात देवी देवता की वाणी हैं। ऐसे महान यशश्वी प्रकांड विद्वान माननीय पंडित श्री दीपक शर्मा ज्योतिषाचार्य का यह संक्षिप्त परिचय है।