गुरु चांडाल दोष पूजन
ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह का वर्णन मिलता है जिनमें से ७ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि व २ छांया ग्रह राहु व केतु है। प्रत्येक ग्रह का जातक के जीवन में अलग-अलग प्रभाव पड़ता है इसी प्रकार इन ग्रहों का जब अन्य ग्रहों से संबंध बनता है तो कई प्रकार के शुभ व अशुभ योगों का निर्माण होता है इनमें से ही एक योग है गुरु चांडाल योग/दोष जब किसी जातक की जन्म कुंडली में गुरु ग्रह के साथ राहु अथवा केतु के साथ दृष्टि अथवा युति संबंध बनता है तो गुरु चांडाल योग का निर्माण होता है। जिसके कारण वश जातक के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है इस दोष के कारण वश जातक अनैतिक कार्यों को करने वाला होता है इस योग का दुष प्रभाव जातक के प्रत्येक भाव के अनुसार अलग-अलग होता है और ज्योतिष शास्त्र में गुरु चांडाल योग को अत्यधिक खराब माना गया है।
गुरु चांडाल दोष शांति
इस दोष की शांति करवाने के पश्चात इस दोष का नकारात्मक व अशुभ प्रभाव जातक के जीवन से समाप्त हो जाता है व जातक के जीवन मे सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
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